राष्ट्रवाद का विकास

 


राष्ट्रवाद की भावना का विकास 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति से हुआ। इस भावना के विकास से पहले किसी देश की आम जनता की भक्ति अपने राजा के लिए होती थी लेकिन जब इस भावना का विकास हुआ तो अब उनमें अपने देश के प्रति प्रेम की भावना का विकास हुआ।

      राष्ट्रवाद के लिए राष्ट्र का होना आवश्यक है और राष्ट्र के लिए लोगों की साझी दृष्टि होना। और इसी लिए किसी देश के लोग लोकतंत्र,धर्मनिरपेक्षता और उदारवाद के मूल्यों को स्वीकार करते हैं ताकि एक राष्ट्र के नागरिक के रूप में उनकी राजनीतिक पहचान  सुनिश्चित हो सके। क्योंकि इसी पहचान के लिए ही लोग साथ रहना चाहते है।

     राष्ट्रवाद एक सकारात्मक अवधारणा है लेकिन जब यह आक्रामक हो जाता है तो लोगों के अधिकारों का हनन होने लगता है जिससे उनमें अलगाव की भावना पैदा होती है। हालांकि लोगों को प्राप्त अधिकारों पर युक्तियुक्त निर्बंधन लगाए जा सकते हैं।

      भारतीय संदर्भ में देखा जाए तो यह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उदार प्रकृति का था लेकिन अब इसमें उग्रता आ गई है 

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